Thursday, 11 December 2014

दोस्त...



सोचती हुँ कोई दोस्त ऐसा बनाया जाये ...,

आँसुओ को पलकों में छुपाया जाये...,

फिर रहे रिश्ता हमारा कुछ ऐसा...,

जो हो वो उदास, तो हमसे भी मुस्कुराया ना जाये...!!!

दीप

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