Thursday 29 October 2015

मुमकिन नहीं...

मुमकिन नहीं...



देखा नहीं जिसे एक मुद्दत से...
वो उतरा नहीं मेरे जहन से...,
वो टूटकर आज भीआता है याद...
मैं रात भर सोती नहीं आज भी...,
कोई तो  उसको जाकर बताए...
मेरे इन जज़्बातों को...
उसके लिये मैं टूट तो गई हूँ...,
बिखरी  नहीं मैं टूटकर भी ...
जो गिरे थे जो आंसू उसकी तस्वीर पर...,
वो सूखा नहीं आज भी...
जो दर्द था दिल में मेरे...,
उसका मिला नहीं कोई मरहम
उसे ही चाहूँगी  मैं तो उम्र भर...,
उसे भुलाऊंगी, मैंने जो वादे किये थे...
कह हो अपने वादे पे  कायम...,
झूठा नहीं मेरा कोई वादा ….
मैं खुद को भूल सकती हूँ...,
ये अब मुमकिन नहीं..., मैं भूल जाऊं उसे ...
ये अब मुमकिन नहीं!!!


दीप

Thursday 22 October 2015

Will I Be..

Will I Be..


Trying to reach out to others...,
You have made it hard...
Because of your deceit,
Now I look for lies...,
I listen to the words...,
And check for nuances...,
Wondering if their for real...,
Will I ever be the same...,
You took away my years...,
Angry for my life you took...,
From me, all my dreams...,
My faith and trust in others...,
Feels like a shell remains...
God… will I ever be the same...


Deep

Monday 19 October 2015

Black Butterfly...

Black Butterfly...



I look out upon the desert..,
High above on my hill...,
You asked for a separation..
So we can both heal...

I find solace in the wind...,
That caresses my cheeks...,
And quiet from the earth...
Lending me its peace...

Hope God are you listening...,
Can you hear my prayers...,
I am on a journey...
I am lost and scared...

I have loved you always...,
Its just so hard to let go...,
The tears well up inside me...
Feelings buried long ago...

A black butterfly flew beside me...,
Is the earth in mourning to...,
Broken hearts on the ground...
I feel lost within me....


Deep

Thursday 15 October 2015

बस यू ही ...

बस यू ही ...



सूखे पेड़ो की...
मोटी  पतली  टहनियाँ की छाँव...,
बैठकर वीरान अकेले में...
देर तक,रहती थी...सोचती...,
शायद...,जिंदगी की'लम्बी राहों में ...
ना जाने कौन मिलेगा...
इस लंबी राह पर...
अनगिनत राही जो मिलेंगे ठहरेगे...
इर्द-गिर्द मेरे इस जीवन के...
फिर शायद कभी किसी दिन...
कहीं तो कोई तो होगा अपना...
जिसे देख लगे ...
जिंदा हूँ अभी मैं...
कुछ शिकायते-सी शिकवे से हो...,
और फिर उस दिन कफ़न से मुझे ढप देना फिर वही...!!!
दीप

Friday 9 October 2015

सैलाब...

सैलाब...



इसअजनबियों की दुनिया में...,एक अकेला ख्वाब हूँ मैं...,
सवालों से खफ़ा..., छोटा सा जवाब हूँ...!

जो ना  समझे मुझे...,उनके लिए एक सवाल हूँ मैं...,
समझे जो कोई मुझे...,तो दिलचस्प किताब हूँ...!

जाने क्यों  कुछ लोगों के...,दिल में चुभती फ़ास हूँ मैं...,
माने जो कोई अपना तो हमदर्द..., वैसे तो ख़राब हूँ...!

साथ रहे जो हरपल ऐसा..., मददगार हूँ मैं..., 
जिसका ना कोई तलबगार...,वो चमकता आफ़ताब हूँ...!

जो देखोगे आँखों से...,तो खुश पाओगे मुझे...,
दिलमें जो देखोगें..., तो दर्द का सैलाब हूँ...!!!

दीप


Monday 5 October 2015

कुछ कमी सी है...

कुछ कमी सी है...


युँ तो बहुत से है..,दोस्त यहाँ फिर भी कुछ कमी सी है...,
घिरी हूँ..,चारो तरफ़ मुस्कुराते नक़ाबपोश चेहरो से...!

जिंदगी देने वाली उस मुस्कुराहट की कमी सी है...,
जिस ने दी जिंदगी की पहचान...,उस प्यार भरी नज़र की कमी...! 

नित गुँजे नया ही किस्सा...,चारों ओर कोलाहल और ठहाको से...,
कानो में गुनगुनाति...,उस मीठी खामोशी कि कमी सी है...!

बढ़ है कदम मेरे...,पाने को नयी मन्ज़िलें निस दिन..., 
साथ जिन का इन हाथो से छुट चुके...,उन नरम हाथो की कमी सी है...!

यु तो है हम जिन्दा आज..., फिर भी ना जाने क्यों..., ख़लिश सी..., 
युँ तो बहुत से है दोस्त...,यहाँ फिर भी कुछ कमी सी है...!!!

दीप

Thursday 1 October 2015

ऐसा भी होता है...

ऐसा भी होता है...


अक्सर ऐसा भी होता है...,
जो दे दूजे को कंधा रोने को...,
वो भी अकेले में रोता है...,
ओरों को हँसाने वाला अक्सर...,
सर तकिये पर रख रोता है...!

ऐसा भी होता है...,

नींद से पहले अक्सर...,
तकिया गीला होता है...,
जिन्दगी के खेल में...,
बात क्या करे हारने वालों की...,
अक्सर जीतने वाला भी... ,
जीत के बाद भी कर रोता है...!

ऐसा भी होता है...

बचपन से जल्दी जल्दी बङा बनना...,
हर एक का सपना होता है...,
जवानी का गुरुर अक्सर...,
बुढापे में अकेले में रोता है...!

ऐसा भी होता है...

मर्म जान लो जो, दूजे के रोने का...,
दर्द  अपने सीने में भी होता है...,
केवल वो ही तुम संग रोता है...,
दिल एक सच्चा जिसके सीने में होता है...,

होता है..... होता है..., अक्सर ऐसा भी होता है...!!!


दीप