ये धूंध और धुँए से लिपटी राहें...
खोये है रास्तें, मंजिल का पता कोई पायें भी तो कैसे ???
है हर सू बडी खामोश बेबसी का मंज़र...,
नि:शब्द है सब शब्द मेरे, पता पायें भी तो कैसे ???
हर रात तेरी यादों है मेरे जेहन पे तारी...,
अब तो अपनी ही साँसे लगती है मुझको भारी...,
क़त्ल करता है ये अंधेरा,सुबह का पता पाए भी तो कैसे???
मतलब परस्ती की उलझनें, हर रिश्ते में कुछ ऐसी पायी...,
खो चूके है सब कुछ,अब खूद का पता पायें भी तो कैसे ???
दीप
खोये है रास्तें, मंजिल का पता कोई पायें भी तो कैसे ???
है हर सू बडी खामोश बेबसी का मंज़र...,
नि:शब्द है सब शब्द मेरे, पता पायें भी तो कैसे ???
हर रात तेरी यादों है मेरे जेहन पे तारी...,
अब तो अपनी ही साँसे लगती है मुझको भारी...,
क़त्ल करता है ये अंधेरा,सुबह का पता पाए भी तो कैसे???
मतलब परस्ती की उलझनें, हर रिश्ते में कुछ ऐसी पायी...,
खो चूके है सब कुछ,अब खूद का पता पायें भी तो कैसे ???
दीप
0 comments: