इक़रार गए, इंकार गए..., हम हार गए...,
आँखों से सब आसार गए..., हम हार गए...!
यादें सारी की बीच समंदर डूब गईं...,
कुछ सपने...,कुछ अपने...,रह उस पार गए...!
इक उम्र रहे हैं...,जीत से बे-परवाह लेकिन...,
जब जीतना चाहा..., तो अनचाहे ही हार गए...!
यूं उलझे दुनिया के सुख-दुःख में..., अपनी ही सुध खो गए...,
सब झूठे-सच्चे यार गए..., हम हार गए...!
कुछ प्रीत...,कुछ रीत...में हम से हुए..., हम हार गए...,
फिर यार गए...,दिलदार गए..., और बस हम हार गए...!!!
दीप
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