कैसे कहुँ के तुम मेरे दिल
के कितने करीब हो...,
जिस के साथ से मिले एहसास
जन्नत का...,मेरा वो नसीब हो...,
हवा जो चले हल्की हल्की...,लगे की तुमने छुआ हैं...,
बजता हो सुरीला गीत..., जो तुम कह दो होले से कुछ कानों में...,
गुस्सा तुम्हारा जैसे सूरज
की मद्धम धूप...,
प्यार तुम्हारा गहरा ऐसे
जैसे से हो घने जंगल की छाँव...,
दिले की बस ये ही तमन्ना
तेरी ही बाँहो में रहू....,
कैसे कहुँ के तुम मेरे दिल
के कितने करीब हो....!!!
दीप
शुक्रिया :)
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