Monday 12 March 2018

जी लूँ इत्मिनान से....


  मन चाही कर लूँ जी लूँ इत्मिनान से...,
नगमें कुछ लिख लूँ...जो भरे हो ज़ज्बात से...,
सोचूँगी फिर की मुझे...,अब क्या करना है |
 समझ लूँ रिश्तों की नई परिभाषा...,
आयाम नए कुछ गढ़ लूँ फिर सेपर्दे में छुप लूँ रुख को...,
सोचूँगी फिर की मुझे...अब क्या करना है |
 आज़ाद परिंदों सी उड़ान भर लूँ गगन में...मन मानस के स्मृति पटेल से...,
मिटा दू कुछ ख्यालों को निरन्तर चलते अन्तदुंद से...सोचूँगी फिर की मुझे....अब क्या करना है |
 कर लूँ महसूस इन एहसासों को...,
बरखा के बरस जाने का...,सावन के भर आने का...,
मिलन अंतिम तुम से जो जाने का एहसास कर लूँसोचूँगी फिर की मुझे...,अब क्या करना है |
  ​दीप    


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