आगोश…
रहती हू गुम हर वक़्त तेरे ही खयालों मे
रहती हू सहमी
से तेरी ही यादों मे
लगे आपना आप सा भी पराया पराया
ढूढ़ ये नज़र तुझे ही हर तरफ़ हर जगह
आये नज़र जो तू तो लगे सब अपना
आ भर लू तुझे इन बाहों मे न रहे कोई दूरियाँ
आ चूम कर
मेरे शीर्ष को कर दे तू मदहोश मुझे
जो रहू तेरे पनाह मे तो पा लू सुकून
ऐ ख़ुदा सुन ले आज मेरी ये फ़रियाद
जो आज मर ज़ाऊ आपने उस ख़ुदा के आगोश मे।।।
दीप
लगे आपना आप सा भी पराया पराया
ढूढ़ ये नज़र तुझे ही हर तरफ़ हर जगह
आये नज़र जो तू तो लगे सब अपना
आ भर लू तुझे इन बाहों मे न रहे कोई दूरियाँ
आ चूम कर मेरे शीर्ष को कर दे तू मदहोश मुझे
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