आज़ भी याद है मुझे, तुम अक्सर कहा करते थे....
दूर से देखने पर चीज़ें कितनी सुहावनी दिखती है...
शायद इसलिए तुमने ये दूरियाँ क़ायम कर ली...
गर तुमको ये मंजूर तो चलो ये भी सही....
हमने भी इन फसलों से अब मोहब्बत कर ली.!!
दीप
दूर से देखने पर चीज़ें कितनी सुहावनी दिखती है...
शायद इसलिए तुमने ये दूरियाँ क़ायम कर ली...
गर तुमको ये मंजूर तो चलो ये भी सही....
हमने भी इन फसलों से अब मोहब्बत कर ली.!!
दीप
0 comments: