Monday 11 May 2015

मौहब्बत...


जब जब देखा उसने पलट कर...,
हम समझें हसरत उन्हें भी है...!
एक एहसास जिस पे हम मर मिटे...,
लगा वो मौहब्बत उन्हें भी है...!
चुप हो गए वो भी दुनियादारी की सोच कर...,
शायद मेरी तरह दुनिया से शिकायत उन्हें भी है...!
हमने भी बना लिए रिश्ते अंधेरों से...,
ये सोचा शायद रातों को जागने की आदत उन्हें भी है...!
खामोश हो गए वो हमारे सवालों को सुन कर...,
अब सोचते है या-ख़ुदा क्या मौहब्बत उन्हें भी है...!!!
दीप 

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