गर रख सको संभल कर...,तो एक निशानी हूँ मैं..,
जो खो दिया तो सिर्फ...,एक भूली कहानी हूँ मैं...!
लाख चाहे पर रोक पाए...,न जिसको ये सारी दुनिया...,
वो ही एक बूँद...,आँख जो ना बरसा पानी हूँ मैं....!
है आदत हमें...,सबको बस प्यार देने की...,
आदत है हमे...,अपनी अलग पहचान बनाने की...!
जख्म दे कोई भी...,कितना भी गहरा चाहे हमे...!
मुस्करा के गम सह जाने की
आदत है...,हमेंउतनी ही ज्यादा...,
अजनबी सी इस दुनिया में...,अकेला ख्वाब हूँ मैं...!
सब सवालो से खफा दुनिया में...,छोटा सा जवाब हूँ मैं...,
जो समझ न सके मुझे..., उनके लिए "एक पहेली"...,
और जो समझ गए...,उनके लिए खुली किताब हूँ मैं...!
जो देखोगें आँख से...,हमेशा तो खुश पाओगे,मूझे...,
देखोगें जो दिल में झांक कर...,तो दर्द का सैलाब हूँ मैं...!
"गर रख सको संभल कर तो एक निशानी हूँ मैं...,
जो खो दिया तो सिर्फ एक
भूली कहानी हूँ मैं ...," !!!
दीप
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