Friday, 10 June 2016

यादें....






सौगात जो मिली प्यार कि चैन से रहने नहीं देती...,
ये बैरन काली रात नहीं सोने देती...!


घिरी हुँ तेरी यादों के आगोश में...,
बदजात ये अब तो सोने नहीं देती...!


जो लुटाई मुझपे तूने जी भर के...,
एहसासों की खैरात वो नहीं सोने देती...!


कई मर्तबा आते आते रह गई मिलन की रात...,
बंद होठों पे वो बात सोने नहीं देती...!

दिल में जो रच बसी गयी मेरे...,
कुछ अधूरी वो मुलाकात सोने नहीं देती...!


गर जो हो जरूरत लड़ लू ज़माने भर से मैं...,
पर मुझ से ही तेरी घात सोने नहीं देती...!!!

 द्वीप

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4 comments:

  1. Replies
    1. Thank you Jyotrimoy...glad you liked my pen work :)

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  2. क्या बात है खूबसूरत

    गर जो जरुरत लड़ लू ......


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