Monday 16 February 2015

हमसाया...


कोई हमसाया...ना ही कोई हमदम...मिले जो निभाए वफ़ा जिंदगी ...,

हर पल बदलते है चेहरे यहाँ..., हर दूसरा धोकेबाज़ यहाँ जिंदगी ...,

किस-किस को सज़ा दे...,किस से करे शिकायत  जिंदगी ...,

जो सुनाते कभी अपनी दास्ताँ...तो महफ़िल को भी रुलाते 'जिंदगी'..!!

 दीप 


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