Thursday 13 March 2014

यादें...



ये एक आँसू की  बूंद नहीं,
ये गुजरे लम्हों की गूंज नहीं,

ये तो तेरी यादोँ का सिलसिला हैं
है मिला जो बेवफ़ा इश्क़ हमें

इसे निभाना हैं उम्र की ढ़लान तक
इसे सवारना हैं साँसो के आख़िर पड़ाव तक।।


दीप

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