Tuesday 28 July 2015

मुश्क़िल है....

मुश्क़िल है....



मौहब्बत का इरादा बदल जाना भी मुश्क़िल है...,
तुम्हें पाना भी मुश्किल, तुम्हें खोना भी मुश्क़िल है..!

उदासी तेरी  गवारा भी नहीं दिल को...,
तेरी ख़ातिर सितारें तोड़ कर लाना भी मुश्क़िल है..!

ज़रा ज़रा सी बात पे रूठ के बैठ जाते हो..,
तुम्हें तो हाल-ले-दिल बताना भी मुश्क़िल है..!!!

दीप

Sunday 26 July 2015

बेलौस मौहब्बत....


जब चमकेगे चाँद सितारें..,रात के साए में...,
याद आएगी तुम्हें फिर...,मेरी ये बेलौस मौहब्बत...!
खिलेंगे जब यादों के फूल चमन में...,
तरस रहे हो दो नैन...,जब दीदार करने को...!
बरसे रहे हो जब आँखों...,से झरझर आँसू...,
याद आएगी तुम्हें फिर...,मेरी ये बेलौस मौहब्बत...!
जब तन्हाई से दिल घबराएगा...,
जब तुमको भी अकेलापन सताएगा...!
जब कोई भी साथ ना आएगा...,
जब मुरझे फूल ही रह जाएंगे...,किताबों में...!
जब चमकेगे चाँद सितारें..,रात के साए में...,
तब तुम्हें फिर से याद आएगी,मेरी ये बेलौस मौहब्बत...!!!

दीप 

Saturday 4 July 2015

टीस...

टीस...



कैसी होती है...,ये तन्हाईयाँ...,
कुछ अलग नहीं पर शायद...
 तुम्हारे या मेरे जैसी होती है...!

इस दुनिया के में मेरे और तुम्हारे...,
 अपनों और अनजानों की भीड़ में...! 

तुम्हे और मुझे कुछ थोड़ा..., 
और अकेला सा पाया है...! 

दोस्तों के साथ के कहकहे में...,  
उस हँसी के पीछे छिपी उदासी है...! 

जिक्र हो तुम्हारा या बात हो मेरी..., 
या-ख़ुदा ने क्या खूब आजमाया है...! 

इस दिल के किसी कोने में फिर भी..., 
एक टीस सी अब तलक बाक़ी है...! 

फिर भी अफ़सोस है इस दिल को..., 
आज़ तक ना तुम ही समझें..., 
और ना ही मैं समझा पायी तुम्हें...!!!


दीप