
हमकदम...
मेरे दिल की किताब को कभी पढ़ना तुम...,
सपनो में आके मुझसे मिलना कभी तुम ...
मैंने दुनिया सजाई है तुम्हारे लिए ...,
मेरी नज़रों की उम्मीद बनकर कभी आना तुम ...
माना बहुत दूर है सितारों का वो रोशन जहान...,
माना बहुत दूर है सितारों का वो रोशन जहान...,
पर मुझे कहाँ चाह उस जहाँ की जब हमकदम हो तुम...
बस इतनी सी है इलत्ज़ज़ा तुम से ...,
के जरा चंद कदम हमकदम बनके मेरे साथ चलना कभी तुम ....
बहुत नादान है, नाज़ुक है सीने में दिल मेरा ...,
तुम मौहब्बत बनके इस में धड़कना कभी ....
तुम मौहब्बत बनके इस में धड़कना कभी ....
दीप