सब भूल जाती हूँ तेरी फिक्र में खुद भी भूल तो..,
नहीं जताती फिर तुझको ए बेख़बर...!
दूर होने लगती हूँ.., जिस पल तुझ से...,
याद तेरी बहुत...,उस पल कसम से आती हमे...!
जो पूछे कभी है...,तुम्हे हमसे मोहब्ब
त कितनी...,
नज़रें चुरा के.., बात बात बनते क्यों हो...!
भुलाए बैठे है...,हम खुद को तेरी मोहब्बत में...,
और तुम ना जाने क्यों...जज़्बात छुपाते हो...!!!
दीप
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