तेरे करीब फिर तुझसे दूर होने पर...,
जिन रास्तों पे तुम संग चली वो रास्तें ढूँढती हूँ...!
अंपने हाथों की लकीरों में अक्सर रातों मे...,
तेरा हाथों का एहसास ढूँढती हूँ...!
किसने लिख दी जिंदगी में यार ए जुदाई...,
दिलबर ना जाने कब से तेरे दीदार को तरसती हूँ...!
खो गई हूँ जिंदगी की अनजान राहों में...,
भूली खुदी को खुद को ही ढूँढती हूँ...!!!
दीप
0 comments: