Tuesday 27 May 2014

नादान ये दिल...












ये दिल तो है एक आवारा पंछी
दर बा दर फिरता, ये दिल बेवज़ह
बेसब्रा नादान ये तन्हा दिल बेचारा
ना जाने कितने जज़्बात छुपाए

हंसता है जरा ये नासमझ, तो कभी रोता है
जिंदगी की अन्जान राहों पर चले चलता है
हर तरफ़ है अफ़रातफ़री, ना मैं रूकू ना रुके कोई
जानें अनजाने लोगों से राहों में मिलता चलता है

पर ना आराम मिले ना, मिले ठिकाना किसी जगाह
ना जाने क्यों है अरमान बेपनाह इस दिल में
हर चहरे के पीछे एक चेहरा, दर्द छुपाए, दर्द भरा
ना समझे कोई ना ही कोई इसे पहचान सका

हर किसी को है आपनी ही उदासियों का दर्द यहाँ
और ये नादान दिल बस अपने में खोया,
ना जीत सका, ना ही हरा
ये दिल आवारा , बंजारा क्यों, ये न कोई जान सका

दीप

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