Monday 16 November 2015

अनजाना कोई...


दूर बैठा अनदेखा अनजाना कोई...,
पूछा करता हैa मुझ से...
क्या राज़ छुपाए हो इस दिल में...,
डरता जो तू खुदी से इतना...
 दोस्तों से घिरा हुआ तू हरपल...,
फिर भी किसको ढूँढा करता...
है साथ तेरे सारी दुनिया यू तो...,
रहता फिर किस का इंतज़ार...
यू तो है चेहरे पर हँसी फिर भी...,
आँखों में छुपी ये नमी क्यों है...
पूछे कोई क्या माजरा है उदासी का...,
कहते हो कोई बात नहीं...
फिर को मायूसी अक्सर बातों में...,
है कोई पल शायद जो...!!!
नाता तोड़ तुमसे चला गया
पर आज भी वो तुझ संग जुड़ा हुआ
छोड़ चला जो साथ तेरा


दीप

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