Thursday, 10 March 2016

सजा...



जिंदगी क्या है...,एक दुआ ही तो है...,
जो ना चाहा कभी...,फिर वो हुआ ही तो है...!

नहीं हुआ हासिल तेरे पहलु में रहना..., 
क्या हुआ जो हमने तुम्हे चाहा ही तो है...!


हमसे पूछा किसने ये इश्क़ क्या बला है...,
हँस के बोले हम...,ये एक ख़ुदा ही तो है...!

पूछा ही तो था...,दोस्तों ने सवाल हमसे...,
हमने कहा है जो ये इश्क़ तो गुनाह ही तो है...!

नहीं कटती रातें...,ना गुजरते है दिन...,
अब क्या कहे क्या बोले...,सजा ही तो है...!!!

दीप

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