कोई अपनी टोपी बेच देता है...,
तो कोई यहाँ अपनी पगड़ी बेच
देता है...!
कोई अपना मज़हब बेच देता है...,
तो कोई यहाँ अपनी जात बेच
देता है...!
गर जो मिले अगर दाम अच्छा...,
तो जज भी कुर्सी बेच देता
है...!
जला देते है ससुराल में
अक्सर वही बेटी...,
किडनी जिस बेटी की खातिर,कोई बाप बेच देता है...!
प्यार में कुर्बान हो जिस पर कोई मासूम लड़की...,
वो ही प्रेमी अक्सर वीडियो उसका,बनाकर बेच देता
है...!
नहीं कुछ भी नामुमकिन इस
कलयुग में...,
माली यहाँ कली, फल फूल, पेड़ पौधे सब कुछ ही बेच
देता है...!
हैरत क्यूँ हो लोगों को, जब प्यार में दिल हारे कोई...,
तो यहाँ तो युद्धिष्ठिर
अपनी पत्नी जुए में बेच देता है….!!!
दीप
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