तुम अक्सर कहते थे...,मुझे बारिश बुहत पसंद है...,
पर फिर जब बारिश होती...,तुम खुद को छुपा कर लेते बंद दरीचों के पीछे...I
तुम अक्सर कहते थे...,मुझे शाम ढले चलने वाली ठंडी पुरवाई बुहत पसंद है...,
पर फिर जब शाम होती...,और पुरवाई चलती तुम छुपते फिरते...I
तुम अक्सर कहते हो...,तुम्हें मौहब्बत है मुझसे...,
पर ना जाने क्यों अक्सर डर लगता है...,जब तुम कहते हो तुम्हे मुझसे मौहब्बत है...!!!
दीप
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