पहलु में मेरे जलती है...,एक शमा हर रात ख़ामोशी से...,
बन करती हैं...,जिसकी लौ में तेरी तस्वीर सरगोशी से...!
यू तो ख़ामोश रहती है ज़ुबाँ...,अक्सर उनके सामने...,
पर ये आँखें बयां कर देती है...,दिल के तमाम राज़...!
मेरे मोहसिन हो ख़ामोश क्यों...,कुछ तो दिल की कहो...,
बढ़ रही हर घड़ी तकलीफ़...,इस ख़ामोशी से...!
हो रही खबर..., ज़माने को शमा के दर्द की...,
खबर किसको है यहाँ...,दिल के जलने की...!!!
दीप
बेहद ख़ूबसूरत :-)
ReplyDeleteawesome poetry---"khabar ki ko hai yahan dil ke jalne ki"---liked this line most.
ReplyDeletenice
ReplyDeleteThank you so much @Amit @Jyotirmoy and @Sumit :)
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