जाने कितनी मुददत से सोई नहीं हुँ..., सुला दो माँ...,
आकर मेरे पास मुझे फिर लोरियाँ सुना दो माँ....!
आँखों में जम से गए है आँसू...,
मुझे अब दिल भर के रो लेने दो माँ....!
तेरे प्यार भरे निवाले की भूख माँ
अपने हाथों से निवाले खिला दो ना माँ
ना जाने कैसे कैसे दर्द देकर दुनिया ने रुलाया मुझे...,
छुपा के अपने आँचल तले मुझे इनसे निजाद दिलो माँ ..!
दुनिया डराती कहती नहीं कोई मेरा...,
थामकर हाथ मेरा अपना एहसास करा दो माँ...!
जाने कितनी मुददत से सोई नहीं हुँ, सुला दो माँ...,
आकर मेरे पास मुझे फिर लोरियाँ सुना दो माँ....!!!
दीप
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