एहसास की मेरे कुछ सिमट जाए तो अच्छा...
रात आँखों ही आँखों में कट जाए तो अच्छा...,
नहीं मेरी नींद की बाँहों में न तू, न तेरे ख़्वाब...
अब ये नींद भी आँखों से उचट जाए तो अच्छा...,
अब तक तो साथ रहा मुक़द्दर मेरे...
जिंदगी बाक़ी भी चैन से कट जाए तो अच्छा...!!!
दीप
0 comments: